कालसर्प दोष रुद्राक्ष, कवच और निवारण यंत्र

कालसर्प दोष रुद्राक्ष , कवच और निवारण यंत्र

कालसर्प दोष और उसके प्रभाव

कालसर्प दोष रुद्राक्ष : कालसर्प दोष किसी भी मनुष्य की कुंडली में उत्पन्न ग्रहों की वह स्थिति है जिसके कारण मनुष्य जीवन में अनेकों परेशानियां आती हैं और जीवन में यह विशेष प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी कुंडली में सूर्य ,चंद्रमा, मंगल, शनि, बुध, शुक्र एवं बृहस्पति सभी प्रमुख ग्रह राहु – केतु के बीच आ जाते हैं तो यह कालसर्प योग उत्पन्न करता है और इससे उत्पन्न दोष के कारण ही यह मनुष्य के जीवन में कालसर्प दोष लाता है।कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष का प्रयोग करके इन दोषों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है कालसर्प दोष के अनेकों प्रभाव हैं सामान्यतः कुछ इस प्रकार से हैं :-   

  • विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई में मन न लगना, पढ़ाई बीच में ही छूट जाना। किसी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक,और शारीरिक बाधा उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण में विद्या अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
  • संतान उत्पन्न ना होना। यदि संतान उत्पन्न होती है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता हैया  संतान को विभिन्न प्रकार के विकार या बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।
  • विवाह में विलंब होता है यह भी एक कालसर्प दोष का लक्षण है। वैवाहिक जीवन में अनेकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं जिस कारण से वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो जाता है और तलाक तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • कठिन परिश्रम करने के पश्चात भी मनवांक्षित फल प्राप्त नहीं होता है।
  • बाल्यावस्था में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है, दुर्घटना होने लगती है, चोट लग जाती हैं बीमारियां होने लगती हैं यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण है।
  • परिवार के लोग तथा सहयोगियो से धोखा मिलता है विशेष रूप से ऐसे व्यक्ति जिनका आप सदैव भला करते हो वह भी आपको धोखा देते हैं, आपके साथ छल करते हैं।
  • कारोबार संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती है। कारोबार फलीभूत नहीं होता है, कारोबार में व्यवधान उत्पन्न होते हैं, सौदे  टूटने लगते हैं तथा कारोबार में बहुत ज्यादा हानि होतीहै।
  • घर में, घर के सदस्यों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है अस्पतालों के चक्कर काटते काटते थक जाते हैं परंतु किसी भी बीमारी का पता नहीं चलता है। आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
  • घर में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होती है यास्थगित करने पड़ते हैं।
  • कभी-कभी परिवार में जो मुखिया होता है उसे मानसिक रोगों या शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है तथा उसे तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • परिवार धन-धान्य से संपन्न होने के पश्चात भी धन के लिए तरसना पड़ता है। पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में दिक्कत आती हैं।
  • घर में हमेशा  कलह का माहौल बना रहता है और पारिवारिक सौहार्द में कमी बनी रहती है ।
  • घर के किसी भी सदस्य पर भूत प्रेत का साया या घर के सदस्यों में चिड़चिड़ापन देखने को मिलता  है।
  • कालसर्प दोष जातक केमाता पिता के लिए कष्टकारी होता है।

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क्या आपकी कुंडली में भी है यह दोष?

अक्सर यह देखा गया है कि हमारे जीवन में कितने ही उतार-चढ़ाव आते हैं। जिसमें कई तरह की समस्याएं, चाहे वह आर्थिक रूप से हो या सामाजिक रूप से हो, शारीरिक रूप से हो या मानसिक रूप से हो।

हम समझ नहीं पाते हैं कि आखिर इन समस्याओं की वज़ह है क्या? हम यह मानते हैं की यह हमारी किस्मत है। यह जो भी है हमारे किसी पुराने पाप का फल है और हम छोटी-छोटी बातों के लिए ईश्वर को कोसते रहते हैं। जो कुछ हो रहा है वह ईश्वर के कारण हो रहा है जिनकी हम पर कृपा नहीं हो रही है।

यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आप इसके लिए एक बार अपनी कुंडली किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से अवश्य जँचा ले ।हो सकता है कि यह सब आपकी कुंडली में उत्पन्न किसी कालसर्प दोष के कारण हो रहा हो ।

क्योंकि आमतौर पर कोई भी व्यक्ति कुंडली को नहीं जान सकता। इसको जानने के लिए किसी विशेषज्ञ की ही जरूरत होती है।

आप अपनी कुंडली का मिलान कालसर्प दोष चार्ट से करके भी जान सकते है।परन्तु हम आपको यही सलाह देंगे की आप किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को ही अपनी कुंडली दिखाएं ।

रुद्राक्ष और कालसर्प दोष

कालसर्प दोष के प्रभाव से बचने के लिए या इन प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष को धारण करके कालसर्प योग के प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

रुद्राक्ष को भगवान शिव के वरदान के रूप में जाना जाता है । कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज होता है जिसका महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। यह माना जाता है कि यह भगवान शिव के द्वारा प्रदत एक वरदान है जिसे भगवान शिव ने संसार के समस्त भौतिक सुखों को दूर करने के लिए प्रकट किया है। यह भी माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंख से निकलने वाले आंसू से हुई है।

रुद्राक्ष से माला का निर्माण होता है जो मुख्यतः मंत्र जाप में प्रयुक्त होती हैं। कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक पाया जाता है।

कैसे चुनें रुद्राक्ष ?

कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष का चयन किस प्रकार से करें यह जानने के लिए आप पहले कुंडली किसी विद्वान पंडित या ज्योतिष विशेषज्ञ को दिखाएं। वह कुंडली देख कर आप को बता सकता है कि आप की कुंडली में यदि कालसर्प योग है तो कौन साहै ? और उसका समाधान के लिए आपको कौन सा रूद्राक्ष धारण करना चाहिए ?

आप की जन्म कुंडली के जिस भाव में या जिस घर में कालसर्प योग बन रहा होगा उस योग की काल सर्प दोष पूजा करने के पश्चात कालसर्प दोष हेतु रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।

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रुद्राक्ष रत्न

प्रथम भाव में बनने वाले कालसर्प योग के लिए एक मुखी, आठ मुखी, नौमुखी रुद्राक्ष काले धागे में पिरोह कर या हार बना कर धारण करना चाहिए।दूसरे भाव में बनने वाले कालसर्प योग के लिए पंचमुखी,आठमुखी ,नौमुखी रुद्राक्ष गुरुवार के दिन काले धागे में पिरोहकर पहना जाता है।यदि कालसर्प योग तीसरे भाव में बना होता है इस दशा में तीनमुखी ,आठमुखी ,नौमुखीरुद्राक्ष लाल रंग के धागे में पिरोहकर मंगलवार को पहना जाता है।चतुर्थ भाव में कालसर्प योग उत्पन्न होने पर दो मुखी ,आठमुखी ,नौमुखी रुद्राक्ष सफेद धागे में पिरोहकर सोमवार के दिन पहना जाता है।पंचम भाव में बनने वाले कालसर्प योग के लिए पंचमुखी,आठमुखी ,नौमुखीरुद्राक्ष तो पीले धागे में पिरोह कर बृहस्पतिवार के दिन पहना जाता है।छठे भाव में उत्पन्न कालसर्प योग के लिए तीन मुखी,आठमुखी , नौमुखी रुद्राक्ष को लाल रंग के धागे में पिरोहकर मंगलवार के दिन पहना जाता है।सप्तम भाव में कालसर्प दोष की स्थिति होने पर छहमुखी,आठमुखी,नौमुखी रुद्राक्ष एक चमकीले या सफेद रंग के धागे में पिरोह कर पहना जाता है।अष्टम भाव में बने कालसर्प योग की शांति के लिए नौमुखीरुद्राक्ष को धारण किया जाता है।दशम भाव में उत्पन्न कालसर्प योग के लिए मंगलवार को चार मुखी ,आठमुखी,नौमुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में पिरोहकर पहना जाता है।ग्यारहवें भाव में यदि सर्प योग बनता है तो इसके उपाय में एक पीले रंग के धागे में दसमुखी रुद्राक्ष, तीनमुखि, या चार मुखी रुद्राक्ष को धारण कर कालसर्प योग के प्रभाव को कम किया जा सकता है।बारहवें भाव में कालसर्प योग होने पर सात मुखी, आठमुखी , ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को शनिवार की शाम को पहनने का प्रावधान है।

कालसर्प दोष कवच

कालसर्प दोष कवच को धारण कर कालसर्प योग के दुष्प्रभाव को कम किया जाता है। इस योग से ग्रसित लोगों का जीवन बहुत ही कष्टकारी होता है। यह जीवन में निराशा लाता है, अनेकों कठिनाइयों उत्पन्न करता है तथा रोजगार से संबंधित या नौकरी से संबंधित परेशानियां उत्पन्न करता है। यह कवच नीली गोमेद ,वलहसुनिया तथा 8 मुखी रुद्राक्ष से बना होता है। तीन रत्न तथा रुद्राक्ष से बने होने के कारण यह कवच बहुत ही शक्तिशाली कवच माना जाता है। इस कवच को धारण करने के पश्चात ईश्वर का आशीर्वाद कवच को धारण करने वाले व्यक्ति के ऊपर आ जाते हैं और जीवन की सभी कठिनाइयां मिट जाती हैं । व्यक्ति जीवन में दिन प्रतिदिन सफलता को प्राप्त करता है।

कालसर्प दोष निवारण यंत्र-

जैसा कि आप जानते ही हैं कि कालसर्प दोष के कारण ऐसे दोष से ग्रसित व्यक्ति का जीवन बहुत ही कष्टकारी हो जाता है। इसके निवारण के लिए संपूर्ण कालसर्प दोष निवारण यंत्र का निर्माण किया गया है। यह यंत्र 13 यंत्रों को मिलाकर बनाया गया है। इसमें कुबेर यंत्र, श्री श्री यंत्र, श्री गणपति यंत्र,श्री संपूर्ण महालक्ष्मी यंत्र,सुख-समृद्धि यंत्र, महामृत्युंजय यंत्र,श्री शनि यंत्,श्री केतु यंत्र,श्री राहु यंत्र, वाहन दुर्घटना नाशक यंत्र, दुर्गा बीसा यंत्र, श्री महालक्ष्मी यंत्र, काल सर्प दोष निवारण यंत्र यह सभी यंत्र समावेशित कर इस यंत्र को महाशक्तिशाली बनाते हैं। इस यंत्र को सोमवार के दिन पूजा कक्ष में स्थापना कर, कच्चे दूध से अभिषेक कर चंदन का लेप लगाना चाहिए तत्पश्चात निम्न मंत्रों का उच्चारण कर 11 बार जाप करना चाहिए।

“ॐ भुजन्गेशाये विद्महे, सर्प्रजय धिमही, तन्नो नागः प्रचोदयात।”

यंत्र की नियमित रूप से पूजा एवं मंत्रो का जाप करने के पश्चात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है तथा कालसर्प दोष का प्रभाव समाप्त होने लगते हैं।

यह कालसर्प दोष कवच यंत्र एवं कालसर्प दोष निवारण यंत्र पंडित जी से संपर्क कर प्राप्त किए जा सकते हैं।

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One response to “कालसर्प दोष रुद्राक्ष, कवच और निवारण यंत्र”

  1. sushant kumar paul 08.10.1977 7.04 pm katwa
    do i have kaal sarp dosh if yes then how i treat it
    help me out

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